आँखें तरेरती मुश्किलें आँखें पगड़ी पहने दुख आया सुख आया इतना छोटा कि उसे बड़ा करने में जीवन बीत गया।
हिंदी समय में प्रेमशंकर शुक्ल की रचनाएँ